May 9, 2010
आनंदम और जगदीश रावतानी
जगदीश रावतानी, गायक, कवि और आनंदम संस्था के संचालक हैं। इंडियन सोसायटी ऑफ़ ऑथर्स के कार्यक्रमों में जगदीशजी से मुलाक़ात हुई, उनकी नज़्मों ने ध्यान खींचा और उनके बुलावे पर आनंदम संस्था के एक कार्यक्रम में शामिल हुआ। जगदीश जी सिन्धी और हिन्दी दोनों में लिखते हैं पर लिखने से भी ज़्यादा साहित्यिक, सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन वह जिस लगन और उत्साह से करते हैं देखते ही बनता है। उनमें जितना जोश लिखने के लिए है उससे कहीं ज़्यादा दूसरों की कविताओं को सुनने का है, जो कम देखने को मिलता है।
जगदीश कई टीवी कार्यक्रमों का निर्माण एंव निर्देशन तथा कई कार्यक्रमों में अभिनय भी कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी जगदीश रावतानी निरन्तर साहित्य सेवा में लगे हैं। उनकी अधिकांश ग़ज़लें, नज़्में और कविताएँ व्यंग्य में बहुत गहरे विचारों को, गंभीर बातों को बड़ी सहजता से कह जाती हैं।
उनकी एक कविता है:-
"मेरे पास था एक शक्तिशाली गुलेल
जिससे पत्थर फेंकने का खेलता था खेल
खेलते-खेलते महारथ हासिल कर मैं बहुत ऐंठा
प्रकृति ने किया दण्डित
जब आसमाँ में छेद कर बैठा।"
जगदीश रावतानी और आनंदम को विवेचना की ओर से शुभकामनाएँ ।
- विवेक मिश्र -
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