Jan 7, 2011

कमलेश्वर के कथा-साहित्य में स्त्री-विमर्श - एक शोध



  • कृति - कमलेश्वर के कथा-साहित्य में स्त्री-विमर्श
  • विधा - शोध
  • लेखिका - डॉ. करुणा शर्मा
  • प्रकाशक - नवचेतन प्रकाशन, दिल्ली
  • प्रमुख वितरक - शिल्पायन, दिल्ली
  • मूल्य - रू 550/-

हिन्दी कथा साहित्य एक पूरी सदी से भी अधिक का सफ़र तय कर चुका है। इसमें प्रारम्भ से लेकर आज तक अनेक बदलाव आये, अनेक प्रकार के आन्दोलन हुए, अनेक प्रश्न भी उठे और अनेक बार इसे कटघरों में भी खड़ा किया गया। इस उतार-चढ़ाव वाले हिन्दी कथा साहित्य के सफ़र में जो नाम, हिन्दी कहानी और उपन्यासों दोनों की ही दशा और दिशा बदलने के लिए एक लम्बे समय से बहुत सम्मान से लिया जाता रहा है, वह नाम है बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी कथाकर कमलेश्वर का।

'नई कहानी आन्दोलन के पुरोधा कमलेश्वर एक स्त्रीवादी कथा साहित्यकार के रूप में भी प्रतिष्ठित किये जा सकते हैं'। इसी बात को प्रमाणित करती है डॉ. करुणा शर्मा द्वारा लिखित यह पुस्तक। कमलेश्वर के कथा साहित्य में स्त्री-विमर्श का एक अनूठा एवं अद्वितीय रूप देखने को मिलता है। उन्होंने स्त्री-विमर्श को उसकी देह तक ही सीमित नहीं रखा बल्कि भावनाओं और संवेदनाओं से उसमें प्राणों की प्रतिष्ठा कर, एक स्पंदन पैदा किया है। उन्होंने तत्कालीन समाज की स्त्री की समस्याओं एवं आवश्यक्ताओं को न केवल जाँचा-परखा बल्कि क़दम-क़दम पर उनका समाधान भी प्रस्तुत किया। उन्होंने समाज की वंचित एवं शोषित स्त्री की व्यथा को न केवल प्रस्तुत किया बल्कि पग-पग पर उसके साथ खड़े हो, उसे द्वन्द्वमुक्त करने का साहसिक प्रयास भी किया और इसीलिये उनकी रचनाओं में स्त्री अपनी पूरी गरिमा, सम्मान एवं आत्मविश्वास के साथ उपस्थित है।

कमलेश्वर के बहुआयामी स्त्री-विमर्श का विभिन्न साहित्यिक एवं सामाजिक संदर्भों में अवलोकन करती, उन्हें रेखांकित करती, वर्तमान समय की कसौटी पर कसती डॉ. करुणा शर्मा की यह पुस्तक कई बिन्दुओं की बिल्कुल नये सिरे से पड़ताल करती दिखाई देती है। कमलेश्वर के कथा साहित्य में पाये जाने वाले स्त्री चरित्रों के द्वारा आज की नारी के सशक्त्तिकरण के लिए रोपे गए बीजों को डॉ. करुणा शर्मा ने बहुत मौलिकता से तलाशा है, चिन्हित किया है। उनका यह शोध स्त्री-विमर्श के लिए पूरी तरह से एक नई ज़मीन तैयार करता है। कमलेश्वर के कथा साहित्य में स्त्री-विमर्श को इस पुस्तक के माध्यम से एक नये प्रकाश में देखा जा सके, इसी कामना के साथ……………

- विवेक मिश्र - www.vivechna.blogspot.com

1 comment:

Kapil said...

I have read this article.This is a very impressive and must read article.