विवेक मिश्र के कहानी संग्रह “हनियां तथा अन्य कहानियाँ” का
लोकार्पण
तथा
लेखक द्वारा संग्रह से कहानी पाठ
21 मार्च, शनिवार, सांय 5 बजे, हिंदी भवन, दिल्ली में आयोजित
किया जा रहा है। कार्यक्रम में आप सादर आमंत्रित हैं।
निवेदक
विवेक गौतम
महासचिव, उदभव
(9911170832,9810853128)
http://www.vivechna.blogspot.com/ , udbhav@yahoo.co.in नेहा प्रकाशन, दिल्ली
विवेक मिश्र एक ऐसे युवा रचनाकार हैं, जो कविता एवं कहानी दोनों में ही अपने विचारों की मौलिकता बनाए रखते हैं। अपने लेखन में वह पुराने चौखटों और सांचों को तोड़ते हैं।
उनकी कहानियाँ हमें पात्रों एवं घटनाओं के साथ-साथ समाज, संस्कृति, इतिहास और उनके वर्तमान समय पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में बताती चलती है।
“हनियां तथा अन्य कहानियाँ” संग्रह की लम्बी कहानी “हनियां” इक्कीसवीं सदी में भौतिकता की होड़ में दौड़ते हमारे देश की उस दलित महिला की कहानी है, जो इस दौड़ से अनजान, अपने समय से बहुत पीछे छूट गई है और चौदहवीं सदी की प्रताड़नाएँ झेलती हुई जीती है और बदलते समय में एक ऐसे षड़यंत्र, एक ऐसे दुष्चक्र का शिकार हो जाती है, जहाँ से निकल पाना किसी इंसान के बस की बात नहीं है। आज यह षड़यंत्र केवल हनियां के खिलाफ़ नहीं रचा जा रहा बल्कि हर उस व्यक्ति के खिलाफ़ रचा जा रहा है जो पद, पैसा और सत्ता से दूर है।
हनियां जैसी कहानियां लिखने के लिये जिस आंतरिक मज़बूती, सच्चाई और हिम्मत की ज़रूरत है वह विवेक मिश्र के लेखन में दिखती है, उनकी कहानियाँ बेलाग आगे बढ़ती, समय के सीने पर निशान बनाती चलती हैं। आज के समय में ऐसी कहानियों का, ऐसे संग्रह का और ऐसे लेखक का प्रकाश में आना एक उम्मीद बँधाता है ।
पत्रकार – मनोज सिन्हा
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