Jun 17, 2010

क्षितिज का सीमान्त

काव्य संग्रह - क्षितिज का सीमान्त
कवयित्रि - डॉ कौशल्या गुप्ता
प्रकाशक- शिल्पायन
मूल्य - 150/-
कौशल्याजी की कविताएँ किन्हीं विशेष समस्याओं, उनके कारणों या उनके समाधानों के आस-पास नहीं बुनी गई हैं। ही उनमें वादों, प्रतिवादों और सिद्धान्तों का निरूपण या खण्डन है। उनकी कविताएँ जीवन के अगाध अनुभवों की वे झाकियाँ हैं जिनमें कवि की दृष्टि एक द्रष्टा की है। उनकी कविताओं का कोई पक्ष या विपक्ष नहीं है। वे एक नदी की भाँति बहती हैं और अपने दोनों किनारों को भिगोती चलती है। इसीलिए उनकी कविताओं में दो अलग-अलग किनारे तो दिखते हैं पर धारा निष्पक्ष रहकर एक ही समय में दोनों किनारों को छूती है।
उनकी कविताओं में एक कभी न ख़त्म होने वाली ताज़गी है। उनकी कई कविताओं ने कई दशकों का सफ़र बड़े धैर्य से तय किया है। जब मैंने उनकी रचनाओं के पिटारे को खोला, तो पाया कि उसमें कितने ही रत्न छुपे हैं। बहुत कोशिश के बाद भी उनमें से सबको इस संग्रह में तो नहीं रखा जा सका, पर निश्चय ही उनकी कुछ श्रेष्ठ रचनाएँ 'क्षितिज का सीमान्त' में आपको क्षितिज का सीमान्त स्पर्श करती दिखेंगी।
- विवेक मिश्र -

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