Apr 8, 2009




हिंदी साहित्य में कहानी की तथा कहानी में बाल कहानियों की यदि बात करें तो गिने-चुने नाम ही याद आते हैं और बच्चों को अच्छी कहानियाँ देने के लिए आज भी हमें पंचतन्त्र एवं अन्य पुरातन ग्रन्थों या फिर विदेशी भाषा की कहानियों के अनुवादों की ओर देखना पड़ता है।
परंपरागत दादी-नानी की कहानियाँ भी, बच्चों के बढते होमवर्क और बचे हुए समय में टी-वी एवं विडियो गेम्स ने किसी कोने में सरका दी हैं।।
ऐसे में ‘दरवाज़े खुल गए’ वेद प्रकाश कंवर का बाल कहानी संग्रह सचमुच ही उस घर के दरवाज़े खोलता है, जहाँ बच्चों के लिए एक अनोखी एवं नई दुनिया उन का इंतज़ार कर रही है।
पच्चीस कहानियों का, 128 पृष्ठों का अनुभव प्रकाशन से प्रकाशित यह संग्रह उन तमाम संभावनाओं की ओर इशारा करता है जिसमें बदलते वक़्त में बाल साहित्य को एक नई रोशनी में देखा जा सके।
वेद प्रकाश कंवर के अंग्रेज़ी में दो कहानी संग्रह तथा एक उपन्यास ‘एक नई क्रान्ति’ हिंन्दी में प्रकाशित हो चुका है।
वेद प्रकाश कंवर ने संग्रह में भाषा सहज, सरल तथा विनोदपूर्ण रखी है जो बाल एंव किशोर पाठकों को लुभाती भी है और उनकी रूचि बनाए रखती है। यह कहानियाँ वर्तमान समय में फैली तमाम कुरीतियों पर, पारिवारिक, सामाजिक, पर्यावरण संबंधी विषयों पर रोचक जानकारी तथा उपयोगी सीख देती हुई चलती हैं।
वेद प्रकाश कंवर मूलतः अंग्रेज़ी के लेखक हैं तथा उनकी मातृभाषा पंजाबी है इसलिए कहीं- कहीं हिंदी पाठकों को लय टूटती हुई लग सकती है तथा पात्रों के बीच संवाद अटपटे लग सकते हैं परन्तु कथानक नया एंव रुचिपूर्ण होने से यह कमियाँ अखरती नहीं हैं।
- विवेक मिश्र

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